परीक्षा में अधिक नंबर लाने वाले बच्चों को इस बीमारी के होने का खतरा कम

शोध के मुताबिक परीक्षा में आधा नंबर पाने वाले, मैकेनिकल रीजनिंग और शब्दों को याद रखने की कम क्षमता वाले स्टूडेंट में उम्र के आखिरी पड़ाव पर अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा पुरुषों में 17 जबकि महिलाओं में 16 फीसदी होने का खतरा रहता है। 2050 तक अमरीका में 14 करोड़ लोग अल्जाइमर से पीडि़त होंगे जिनके इलाज पर हर साल 726 लाखकरोड़ (एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर) की रकम खर्च होगी।

वान लेविन ने प्रोजेक्ट डेटा टैलेंट के तहत1960 के दशक में बड़े पैमाने पर हाई स्कूल के छात्रों की परीक्षा ली थी जो अमरीका के इतिहास में उस समय की सबसे बड़ी परीक्षा थी। ये परीक्षा ढाई दिन तक चली थी। 1,353 स्कूलों के करीब चार लाख 40 हजार छात्रों ने इसमें हिस्सा लिया था। इस परीक्षा में उस स्कूल के बच्चे शामिल हुए थे जहां इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। परीक्षा का परिणाम जो इन्होंने तैयार किया था उसका परिणाम 58 साल बाद आ रहा है और आज भी उसपर शोध चल रही है। हाल ही 'फाइट अगेंस्ट अल्जाइमर डिजीजà को लेकर जारी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उस समय जिन बच्चों ने परीक्षा में सवालों का जवाब सही दिया था उन्हें 60 से 70 की उम्र में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारी का खतरा उनकी तुलना में बहुत कम था जिनके परीक्षा में कम अंक आए थे।

परीक्षा में छात्रों से स्कूली शिक्षा, सामान्य ज्ञान, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, घर की स्थिति से जुड़े सवाल पूछे गए थे। परीक्षा देने वाले बच्चों को ये बताया गया था कि इस परीक्षा का मकसद ये पता करना है कि कौन से छात्र विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रूचि रखते हैं और इस क्षेत्र में अच्छा कर सकते हैं। 'प्रोजेक्ट डेटा टैलेंट' पर वाशिंगटन स्थित अमरीकन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च में अध्ययन किया गया है। उस समय परीक्षा देने वालों में से 85 हजार लोगों के परिणाम की तुलना 2012-13 मे मेडिकल केयर की रिपोर्ट से की जिसमें निकलकर आया कि परीक्षा परिणामों के आधार पर डिमेंशिया के लक्षण किशोरावस्था से ही दिखने लगा था। जिन बच्चों ने कम अंक हासिल किए उनमें 60 से 70 की उम्र से पहले ही अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण दिखने लगे हैं।

४ करोड़ रोगी हैं भारत में अल्जाइमर बिमारी के
अल्जाइमर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब चार करोड़ ४० लाख लोग अल्जाइमर से पीडि़त हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अल्जाइमर के लक्षण दिखने के बाद

रोगी चार से पांच साल बाद इलाज के लिए पहुंचते हैं तब तक उनकी बीमारी गंभीर हो चुकी होती है। अल्जाइमर बढ़ती हुई उम्र में भूलने की बीमारी है।

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