हर्बल कलर से खेलेंगे होली तो नहीं होगी एलर्जी

होली खुशियों का त्योहार है लेकिन किसी को एलर्जी की समस्या है तो होली का नाम सुनते ही परेशानी बढऩे लगती है। इसकी वजह प्राकृतिक रंगों की जगह केमिकल्स वाले रंगों का यूज करना है। केमिकल्स वाले कलर्स में मौजूद तत्त्व एलर्जी के साथ स्किन और बालों को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन हर्बल कलर यानी नीम, पालक और अनार आदि से घर पर बनाए रंगों का इस्तेमाल करें तो इससे न केवल उन समस्याओं के होने से बचा जा सकता है बल्कि जिनको एलर्जी और मुहांसे की परेशानी है तो उसको भी लाभ मिलेगा।
नीम, पालक और धनिया पत्ती से बनाएं हरा रंग
हरा रंग बनाने के लिए आप नीम, पालक, पुदीना या धनिया को पीसकर रंग तैयार कर सकते हैं। आप सूखा रंग पसंद करते हैं तो इनकी पत्तियों को सुखाकर इसमें मक्के, जौ, चावल या अरारोट का आटा मिलाकर गुलाल तैयार कर सकते हैं।
फायदे- इन रंगों का इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होता है। नीम वाले कलर से चेहरे पर मुहांसे आदि की समस्या खत्म होती है। एलर्जी में भी ठीक रहता है। इसके एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इनफेल्मेट्री गुण भी होते हैं जो बीमारियों से बचाते हैं।
अनार और चुकंदर से बनाएं लाल-गुलाबी रंग
आपको अगर लाल या गुलाबी रंग गीला पसंद है तो अनार के दाने या चुकंदर को पानी में अच्छी तरह से उबालकर ठंडा कर लें। आपको लाल रंग चाहिए तो उसमें कम पानी मिलाएं जबकि गुलाबी रंग चाहिए तो उसमें पानी अधिक मिला लें। लाल रंग के लिए टमाटर का भी उपयोग कर सकते हैं। गुलाल बनाने के लिए इनको सुखाकर इनमें चावल, जौ, मक्के या अरारोट का आटा मिला सकते हैं।
फायदे- इसका शरीर पर पडऩे से कोई नुकसान नहीं होता है। अगर गलती से आप इसको पी भी लेते हैं तो नुकसान की जगह फायदा करेगा। इसमें आयरन और विटामिन्स की मात्रा भरपूर होती है। इससे खून बढ़ता है।
हल्दी से बनाएं पीला रंग
रंगों की बात करें तो बिना पीले रंग के कोई भी काम नहीं होता है। हर्बल पीला रंग बनाने के लिए हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें कच्ची और सूखी दोनों तरह की हल्दी इस्तेमाल में ले सकते हैं। कच्ची हल्दी को उबाल कर पिचकारी में चलाने के लिए रंग तैयार करते हैं। कच्ची हल्दी से मुंह पर लगाने के लिए पेस्ट भी तैयार कर सकते हैं जबकि गुलाल के लिए सूखी हल्दी को पीसकर यूज में ले सकते हैं। इसी तरह गेंदा और सूर्यमुखी के फूल से भी पीला रंग तैयार कर सकते हैं।
फायदे- हल्दी न केवल स्किन को फायदा पहुंचाती है बल्कि एलर्जी को भी दूर करती है। अगर इसमें थोड़ी फिटकरी मिला देते हैं तो रंग आसानी से छोड़ भी देते हैं। हल्दी चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है।
टेसू के फूल से बनाएं नारंगी रंग
टेसू के फूल, नींबू, मौसमी फल के सूखे छिलके और बेसन का भी रंग बनाने में प्रयोग किया जा सकता है। टेसू के फूल या फिर मौसमी या संतरे के छिलकों को सुखाकर बनाया गया पाउडर बेहद खुशबूदार होगा। इसके अलावा इन्हें रातभर पानी में भिगोकर रखें और सुबह छान लें। इनमें से प्राकृतिक खुशबू भी आएगी। केसरिया रंग के लिए आप बेसन को भी प्रयोग में ले सकते हैं। हल्दी को भी बेसन में मिलाया जा सकता है। अगर पक्का रंग चाहिए तो टेूस के फूल को रात में अच्छी तरह से उबाल लें। सुबह ठंडा होने पर इस्तेमाल करें। इसके कम फूल में अधिक रंग मिलता है। पहले के समय में इसके रंग का ही इस्तेमाल किया जाता था।
फायदे :- यदि रंग मुंह में भी चला जाए तो कोई नुकसान या संक्रमण नहीं होगा। संतरे या मौसमी के छिलके का अंर्क आंख में जाता है तो आंखें क्लीन होती हैं।
सूखे जामुन से बनाएं बैगनी रंग

गर्मी के मौसम में बेकार जामुन को सूखाकर रख लेना चाहिए। इसको होली के समय हर्बल रंग बनाकर यूज करें। इसके चूर्ण को पानी में उबालकर रंग बनाया जा सकता है। अगर बैगनी गुलाल की जरूरत है तो इसे सूखा ही पीसकर इसमें अरारोट या कॉर्नफ्लोर का आटा मिलाकर बैगनी गुलाल तैयार कर सकते हैं।
फायदे- जामुन कई बीमारियों में लाभकारी होता है। अगर किसी को डायबिटीज या पेट से संबंधी समस्या है तो इमसें लाभ देता है। अगर जामुन से बना रंग मुंह में भी चला जाय तो परेशान न हो। इससे नुकसान नहीं बल्कि लाभ ही मिलेगा।
डॉ. किरन गुप्ता, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, जयपुर

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